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ख़ूशी का दौर गया वक़्त अब ज़वाल का है ये फैसला भी मेरे रब्बे ज़ुलजलाल का है  इलाज के लिए इसांन अब कहां जाए दिलों में बैठा हुआ ख़ौफ़ असपताल का है कोई सदा ना कोई इलतेजा है होटों पर के भीख मांगनें वाला बड़े कमाल का है तुम अपने अपनें घरों कि तिजोरीयां देखो हमारी जेब में जो कुछ है सब हलाल का है